What is MCLR Rate in Hindi?
यदि आप बैंको से कर्ज लेते हैं तो आपको MCLR Rate क्या होती हैं? ( What is MCLR Rate in Hindi ) के बारे में अवश्य पता होना चाहिए। क्योंकि इन दरों का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ता है। इसलिए आपको इसके बारे जानना काफी आवश्यक है।
What is the Full Form of MCLR in Hindi?
यदि हम बात करें MCLR की Full Form की तो वो है Marginal Cost of Funds Based Lending Rate.
MCLR Rate क्या होती है? What is MCLR Rate in Hindi?
यदि हम MCLR को साधारण शब्दों में समझे तो MCLR एक ऐसी ब्याज दर होती है, बैंक जिसके बराबर तथा नीचे किसी को भी कर्ज नहीं देता है। क्योंकि इन दरों के ऊपर बैंक खुद RBI से कर्ज लेते हैं। इसलिए बैंक अपनी लागत वसूलने के लिए ग्राहक को MCLR Rate से अधिक दर पर कर्ज देते हैं। इसी कारण MCLR Rates में कमी और बढ़ोतरी से आपकी जेब पर असर पड़ता है।
आखिरकार बैंक MCLR दर का उपयोग क्यों करते हैं?
बैंक भी RBI से पैसा कर्ज पर लेते हैं और बैंको को उस कर्ज पर ब्याज भी देना होता है। इसके अलावा बैंको के पास आए पैसे से वे ग्राहक को LOAN देते हैं, तथा इस लोन देने की प्रक्रिया में भी बैंको को कुछ लागत आती है। इसके अलावा Saving, FDs and RD के ऊपर भी बैंको को ब्याज देना होता है।
इसलिए बैंक अपने सभी खर्चे जोड़कर एक न्यूनतम दर तय करता है जिसे MCLR Rate कहते हैं।
इसी के साथ अगर बैंक से कोई लोन लेता है तो उसमें बैंक को काफी लागत आती है तथा पैसा डूबने का खतरा भी रहता है। इसलिए बैंक MCLR Rate में 2 से 2.5% Spread जोड़कर ही Interest Rate तय करता है। जिस लोन में अधिक जोखिम होगा उस लोन में Spread Rate ज्यादा होगी।
अलग अलग बैंको की MCLR Rate एक होते हुए भी उनके Interest Rate अलग अलग होते हैं। क्योंकि सभी बैंक अपनी लागत और जोखिम को देखकर ब्याज दरें तय करती हैं।
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बैंको की क्या क्या लागत होती है?
- RBI से प्राप्त लोन पर भी बैंको को ब्याज देना होता है।
- ग्राहकों की Savings, FDs और RD आदि के ऊपर भी ब्याज देना पड़ता है।
- बैंको में जमा पैसे और ग्राहकों को लोन देने और वापिस लेने में भी जो प्रशासनिक खर्चे आते हैं उन्हें भी वहन करना पड़ता है।
- ग्राहकों को दिया गया लोन वापिस नहीं आता है तो उसे भी बैंक को वहन करना पड़ता है।
MCLR कितने प्रकार की होती है?
हर एक बैंक की MCLR दरें अलग अलग समयावधि के अनुसार होती हैं। तो जानिए MCLR कितने प्रकार की होती हैं –
- दैनिक MCLR
- मासिक MCLR
- तीन महीने के लिए MCLR
- छः महीने के लिए MCLR
- सलाना MCLR
- दो साल के लिए MCLR
Calculation of MCLR in Hindi
बैंक अपने ग्राहकों को लोन देता है। तथा उसमें लोन देने और उसे वसूल करने के लिए बैंको को विभिन्न प्रकार की लागत उठानी पड़ती है। इसके अलावा बैंको को Saving Account, FDs और RD के ऊपर भी ग्राहकों को ब्याज देना पड़ता है।
इसी कारण इन सभी खर्चों को पूरा करने के लिए बैंक हर 100 रुपए को लोन देने, ग्राहकों को ब्याज देने तथा उनके पैसे के रख रखाव के लिए। तथा बैंकों के संचालन के लिए जितने भी खर्चे आते हैं। उसको Calculate करके जितनी लागत आती है। उसी हिसाब से बैंक अपनी MCLR Rate तय करते हैं।